दोस्तों आज हम आपको बताने जा हैं कि Career in forensic science – फॉरेंसिक साइंस में करियर कैसे बनायें – आज के दौर में अपराधों से जुडी सही जानकारी होना ज़रूरी है – जांच के सही तरीके को अपना कर हम किसी भी अपराधी को सलाखों तक पंहुचा सकते हैं – फॉरेंसिक साइंस में करियर ऐसे ही चुनौती पूर्ण कार्यों से भरा होताहै
आज फॉरेंसिक साइंस के एक्सपर्ट की मांग दिन पर दिन बढती जा रही है | अपनों कीवास्तविक पहचान की हो या फिर अपराधियों को पकड़ने की। एक फॉरेंसिक साइंटिस्ट हर जगह अपनी अहम भूमिका निभाता है। दुनिया भर में बढ़ रहे क्राइम के ग्राफ ने फॉरेंसिक साइंस के एक्सपर्ट की मांग में भारी उछाल ला दिया है। चूंकि यह पूरी तरह साइंस की रिसर्च वाली फील्ड है, इसलिए साइंटिस्ट, स्कॉलर्स और रिसर्चरों को भी यह खूब भा रहा है, पर इस फील्ड में एंट्रेस से पहले कुछ अहम बातों पर गौर करना जरूरी है।
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फॉरेंसिक साइंस का प्रयोग अपराधियों की खोज करने के लिए किया जाता है। कभी-कभी तो ये ही डीएनए जांच के द्वारा दो बिछुड़ों को मिलाता भी है। अहम बात यह है कि अब इसमें काफी नई टेक्नॉलजी का यूज भी होने लगा है। इसके एक्सपर्ट क्राइम स्पॉट से प्रूव इकट्ठा करते हैं और फिर उन्हें सबूत के रूप में कोर्ट में पेश किया जाता है, ताकि कानून का राज कायम रहे।
समझने की हो क्षमता
यह क्षेत्र उन लोगों के लिए बेहतर है, जो जिज्ञासु और साहसिक कार्यों में दिलचस्पी रखते हैं। दरअसल, इस क्षेत्र में काम करने वाले सभी लोगों के लिए चुनौती हर कदम पर मौजूद होता है। आपराधिक स्थलों पर मौजूद सबूतों (शारीरिक प्रमाणों) का विश्लेषण किया जाता है। फिर उसे दोषी व्यक्ति (सस्पेक्ट) से तुलना कर, कोर्ट के सामने सबसे मजबूत प्रूफ को पेश किया जाता है। इससे आपके अंदर चीजों को समझने की क्वॉलिटी होनी जरूरी है।
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प्रूफ सर्च का काम
इस तरह के प्रूफ में ब्लड के सैंपल, सैलाइवा, शरीर के दूसरे पदार्थ, बाल, फिंगर प्रिंट्स, पैरों के निशान, यूरीन में पाए जाने वाले अल्कोहल, स्पर्म, विस्फोटक पदार्थ आदि हो सकते हैं। इन सबूतों के आधार पर ही फॉरेंसिक साइंटिस्ट रिपोर्ट तैयार करते हैं। ये ऐसे वैज्ञानिक होते हैं, जो पुलिस के साथ काम करके सही सबूतों की जानकारी प्रदान करते हैं।
फॉरेंसिक साइंस में मास्टर्स करने के लिए छात्र को ग्रैजुएशन में 60 प्रतिशत अंकों के साथ फिजिक्स, कैमिस्ट्री, बॉटनी, बॉयोकेमिस्ट्री, माइक्रोबायॉलजी, बी.फार्मा, बी.डी.एस अथवा अप्लाइड साइंस में ग्रैजुएशन होना जरूरी है।
वहीं अगर आप डॉक्टर हैं यानी कम से कम एम.बी.बी.एस की डिग्री आपके पास है, तो फॉरेंसिक साइंश में एम.डी. करना जरूरी है। भारत के ज्यादातर बड़े मेडिकल यूनिवर्सिटीज में जहां एम.बी.बी.एस. कोर्स होता है, वहीं फॉरेंसिक साइंस में एम.डी. की पढ़ाई भी होती है।
क्वॉलिफिकेशन
कोई भी भारतीय जिनकी उम्र 30 वर्ष से कम हो और नीचे दिए गए सब्जेक्ट्स में प्रथम श्रेणी में मास्टर की डिग्री प्राप्त हो वह किसी भी यूनिवर्सिटी से पी.एच.डी. कर सकता है। ये विषय हैं, फिजिक्स, कैमिस्ट्री, बॉयोकेमिस्ट्री, एंथ्रोपलॉजी, माइक्रोबायॉलजी, कंप्यूटर साइंस, कंप्यूटर इंजिनियरिंग, फॉरेंसिक साइकॉलजी आदि। या फिर इन्हीं विषयों में एम.फिल की डिग्री प्राप्प्त कर लें।
खास क्या हो आपमें
इस क्षेत्र में सफल होने के लिए सबसे अहम है, चीजों को जानने की जिज्ञासा। इसके अलावा एक फॉरेंसिक साइंटिस्ट में इन गुणों का होना भी आवश्यक है। जैसे, सावधानीपूर्वक कार्य करना, बुद्घिमता, टीम वर्क, तार्किक और नियमपूर्वक कार्य करने की विशेषता। इनके अलावा, वैज्ञानिक विश्लेषण करने की क्षमता का होना भी जरूरी है। प्रयोगशाला में कार्य करने के लिए आंखों की रोशनी भी सही होनी चाहिए। इनके अलावा आपका कोई अपराधि बैक ग्राउंड भी नहीं होना चाहिए।
फॉरेंसिक साइंस में जॉब कहाँ मिलती है -फॉरेंसिक साइंस करियर की जानकारी
फॉरेंसिक एक्सपर्ट का कोर्स पूरा कर लेने के बाद आपको कई फील्ड में जॉब का मौका मिल सकता है। मसलन, लॉ एनफोर्समेंट एजेंसी, पुलिस विभाग, लीगल सिस्टम, गवर्नमेंट के इन्वेस्टिगेटिव सर्विस और प्राइवेट एजेंसी में रोजगार प्राप्त की जा सकती है। इनके अलावा, विभिन्न कालेजों और संस्थानों में शिक्षण कार्य भी कर सकते हैं। सरकारी संस्थानों के अंतर्गत आई.बी., सी.बी.आई आदि आकर्षक फर्मों में इन्वेस्टिगेटिव ऑफिसर एवं स्टेट पुलिस फोर्स के क्राइम सेल में भी आपको फॉरेंसिक साइंटिस्ट के रूप में कार्य करने का मौका मिलता है। फॉरेंसिक साइंटिस्ट के लिए फॉरेंसिक लैब में कार्य करना जरूरी होता है और कभी-कभी प्राइवेट जासूसी संस्थानों के साथ मिलकर भी काम करते हैं, ताकि अपराधियों और अपराध के बीच सम्बन्ध का पता आसानी से या जा सके।
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1. क्राइम सीन इन्वेस्टिगेशन
फॉरेंसिक साइंस के इस फील्ड में प्रवेश के बाद आपको जिन विषयों पर खास ध्यान देना होता है, वे हैं, सुरक्षा, सबूत से संबंधित वस्तुओं को निर्धारित एवं एकत्र करना, सबूतों की डिटेल में जाना और चल रही घटनाक्रम का फिर से यथासंभव निर्माण करना आदि। मुकम्मल बात यह है कि क्राइम सीन इन्वेस्टिगेशन का क्षेत्र काफी व्यापक होता है। इसके अंतर्गत एक साधारण से घर में लगे आग से लेकर कई मंजिला इमारत और शहरों में हुए बम विस्फोट तक जैसे भयानक हादसों की इन्वेस्टिगेशन शामिल होती है।
क्या होनी चाहिए योग्यता
फॉरेंसिक इन्वेस्टिगेशन में डिप्लोमा या डिग्री अथवा एनालिटिकल कैमिस्ट्री में डिग्री।
2. फॉरेंसिक पथॉलजी/ मेडिसिन
फॉरेंसिक पथॉलजिस्ट का कार्य हत्या या आत्महत्या के केस में मौत के कारण और समय का पता करना होता है। इस फील्ड के जानकार द्वारा ही पोस्टमार्टम किया जाता है।
क्या होनी चाहिए योग्यता = मेडिकल डिग्री (एम.बी.बी.एस) एम.डी. के साथ या फॉरेंसिक साइंस में पोस्ट ग्रैजुएट।
3. फॉरेंसिक एंथ्रोपॉलोजी
इसके अंतर्गत मानव कंकाल का अध्ययन किया जाता है और उनकी पहचान की जाती है। किसी भी तरह के डिजास्टर्स जैसे, प्लेन क्रैश, विस्फोट, आग और अन्य कारणों से मृत्यु होने पर फॉरेंसिक एंथ्रोपोलॉजिस्ट को बुलाया जाता है। इनका कार्य क्षत-विक्षत शरीर को पहचानना, उनकी उम्र, सेक्स, पूर्वज और अन्य चीजों की खोज करना होता है।
क्या होनी चाहिए योग्यता
एंथ्रोपोलॉजी में पी.एच.डी. की डिग्री के साथ-साथ बॉडी पार्ट्स (एनाटॉमी) और हड्डियों की रचना (ऑस्टियोलॉजी) की पढ़ाई करना जरूरी है। इनके अलावा, मेडिकल की डिग्री, पीजी के साथ होनी चाहिए।
4. फॉरेंसिक साइकॉलजी
इसका संबंध व्यक्ति के मानसिक स्थिति से है। क्राइम के समय दोषी की मानसिक स्थिति का पता करना और कोर्ट के कार्रवाई के समय व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ है या नहीं, इन सभी बातों का पता लगान इनका ही कार्य है। इसी तरह फॉरेंसिक डेंटिस्ट्री, सेरोलॉजी, फॉरेंसिक इंजिनियर के रूप में काम करने का भी मौका मिल सकता है।
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एक फॉरेंसिक एक्सपर्ट की कमाई सरकार द्वारा नियत की गई सैलरी पर आधारित होती है। फिर भी यह राशि 30-50 हजार रुपये प्रतिमाह से कम नहीं होगी। इसके अलावा, कई तरह की सुविधाएं भी मिलती हैं। अनुभव के साथ ही यह राशि भी बढ़ती जाएगी।
इंस्टिट्यूट्स
– इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिमिनॉलजी ऐंड फॉरेंसिक साइंस, 4-ई, झंडेवालान एक्सटेंशन, रानी झांसी रोड, नई दिल्ली-110056
– गुरु गोविन्द सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, कश्मीरी गेट, दिल्ली-110006
– सेंट्रल फॉरेंसिक लैबरेट्री, कोलकाता, सी.एफ.आई कॉम्प्लेक्स, 30 गोराचंद रोड, कोलकाता-700014
– डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, गौर नगर, सागर, मध्य प्रदेश
– फॉरेंसिक साइंस डिपार्टमेंट, फॉरेंसिक हाउस, 30-ए, कामाराजार सालय, माइलापुर, चेन्नई-600004
-डॉ. भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी, सिनेट हाउस, पालीवल पार्क, आगरा-282004
-पंजाब यूनिवर्सिटी, पटियाला-147002
– लखनऊ विश्वविद्यालय, बादशाह बाग, लखनऊ-226007
तो दोस्तों हम उम्मीद करते हैं कि आपको ये पोस्ट पसंद आई होगी – कि फॉरेंसिक साइंस में बेहतर करियर कैसे बनायें – Career in forensic science-
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