क्या है आर्टिकल 15 , जिसपर बनी थी 2019 में आयुष्मान खुराना की सुपरहिट मूवी

दोस्तों 2019 में निर्देशक अनुभव सिन्हा द्वारा निर्देशित एक फिल्म आयी थी जिसमे आज के जाने माने अभिनेता आयुष्मान खुराना ने अभिनय किया था | इस फिल्म को काफी लोगों ने सराहा था और इस फिल्म ने अच्छा कारोबार भी किया | इस मूवी का नाम था Article 15. दोस्तों जैसा कि इस फिल्म के नाम से ही विदित होता है कि यह भारत के संविधान से सम्बंधित शब्द है मगर फिर भी क्या आप जानते हैं कि आर्टिकल 15 क्या है और हमारी राजव्यवस्था में इस आर्टिकल का कितना महत्त्व है। तो चलिए आज हम आपको आर्टिकल 15 के बारे में बताते हैं तब आप समझ जाएंगे कि उस फिल्म का सन्देश क्या रहा होगा?

भारतीय संविधान – भारतीय नागरिकों के मूल अधिकारों के बारे में

दोस्तों भारत का संविधान एक विशाल लिखित संविधान है जिसमें लोक हित के लिए लोक तंत्र की व्यवस्था की गयी है | भारतीय संविधान को संदर्भो के आधार पर कई भागों में बांटा गया | भारतीय संविधान का भाग -3 भारतीय नागरिकों के मूल अधिकारों के बारे में बताता है | भारतीय संविधान का भाग-3 प्रारम्भ होता है Article -12 से और समाप्त होता है Article 35 पर | तो आगे बढ़ते हैं और जानते हैं आर्टिकल 15 के बारे में जिसे हिंदी में हम अनुच्छेद भी कहते हैं

आर्टिकल 15 – धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध

अनुच्छेद 15: भेदभाव का निषेध-अनुच्छेद 15 के अनुसार राज्य अपने किसी नागरिक के साथ केवल धर्म, जाति, लिंग, नस्ल और जन्म स्थान या इनमें से किसी भी आधार पर कोई विभेद नहीं करेगा। इसका सीधा अर्थ है की राज्य एक धर्म ज्यादा और दूसरे धर्म के लोगों को कम महत्व नहीं दे सकता दोनों को एक समान रखना होगा। यह लघुमति समुदाय को अन्य समुदाय की तरह समान अधिकार देता है।                                                                                                                                                                              Read Full Article

अनुच्छेद 15: भेदभाव का निषेध

अनुच्छेद 15 के अंतर्गत निम्न प्रावधान किये गए हैं:

15(1): राज्य, किसी नागरिक के विरुद्ध केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर कोई विभेद नहीं करेगा।

15(2): , यह राज्य तथा व्यक्ति दोनों के भेदभाव करने से विवारित करता है | कोई नागरिक केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर (क) दुकानों, सार्वजनिक भोजनालयों, होटलों और सार्वजनिक मनोरंजन के स्थानों में प्रवेश या
(ख): पूर्णत: या अंशत: राज्य निधि से पोषित या साधारण जनता के प्रयोग के लिए समर्पित कुओं, तालाबों स्नानघाटों, सड़कों और सार्वजनिक समागम के स्थानों के उपयोग, के संबंध में किसी भी निर्योग्यता, दायित्व, निर्बन्धन या शर्त के अधीन नहीं होगा।

15(3): राज्य को स्त्रियों तथा बालकों के लिए विशेष प्रावधान करने के लिए शक्ति प्रदान करता है
15(4): इस उपबंध को प्रथम संविधान संशोधन द्वारा स्थापित किया गया है | इस अनुच्छेद की कोई बात राज्य को सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े हुए नागरिकों के किन्हीं वर्गों की उन्नति के लिए या अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए कोई विशेष उपबंध करने से निवारित नहीं करेगी।

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15(5):यह उपबंध 93वें संविधान संशोधन से 2005 में जोड़ा गया। अनुच्छेद 15 सिर्फ सरकारी या सरकार फंडित संस्था पर भेदभाव के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करता था, इस कमी को दूर करने के लिए प्राइवेट शैक्षिक संस्था में भी SC,ST आरक्षणित सीट का प्रावधान किया। आरक्षण का सिद्धांत इसी अनुच्छेद 15 से निकला है और इसी पर से क्रीमी लेयर(Creamy Layer) का सिद्धांत भी आया है।

15(6)(क): खंड (4) और खंड (5) में उल्लिखित वर्गों से भिन्न नागरिकों के आर्थिक रूप से दुर्बल किन्हीं वर्गों की उन्नति के लिए कोई भी विशेष उपबंध करने से निवारित नहीं करेगी ; और

15(6)(ख): खंड (4) और खंड (5) में उल्लिखित रोगों से भिन्न नागरिकों के आर्थिक रूप से दुर्बल किन्हीं वर्गों की उन्नति के लिए कोई भी विशेष उपबंध करने से वहां निवारित नहीं करेगी, जहां तक ऐसे उपबंध, ऐसी शैक्षणिक संस्थाओं में, जिनके अंतर्गत के खंड अनुच्छेद 30 (1) में निर्दिष्ट अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थाओं से भिन्न प्राइवेट शैक्षणिक संस्थाएं भी हैं, चाहे वे राज्य द्वारा सहायता पाने वाली हैं या सहायता न पाने वाली हैं, प्रवेश से संबंधित हैं, जो आरक्षण की दशा में विद्यमान आरक्षणों के अतिरिक्त तथा प्रत्येक प्रवर्ग में कुल स्थानों के अधिकतम दस प्रतिशत के अध्यधीन होंगे।

तो आपने देखा कि आज़ादी से पहले सामाजिक रूप से फैली भेदभाव की भावना को दूर करने के लिए आर्टिकल 15 को स्थापित किया

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