भारतीय संविधान की उद्देशिका या प्रस्तावना Preamble to the Constitution of India का स्रोत पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा संविधान सभा में 13 दिसंबर 1946 को प्रस्तुत एवं 22 जनवरी 1946 को स्वीकृत उद्देश्य प्रस्ताव और ऑस्ट्रेलिया का संविधान है क्योंकि संविधान की प्रस्तावना में निहित भावनाएं ऑस्ट्रेलिया के संविधान से प्रेरित है |
भारतीय संविधान की उद्देशिका- Preamble of Indian Constitution
हम भारत के लोग भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक आर्थिक एवं राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म एवं उपासना के स्वतंत्रता प्रतिष्ठा और अवसर की क्षमता प्राप्त करने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित कराने वाली, बन्धुता बढ़ाने के लिए, दृढ़ संकल्पित होकर अपनी संविधानसभा में आज तारीख २६ नवम्बर १९४९ ई॰ (मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत दो हजार छह विक्रमी) को एतद्द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।
भारतीय संविधान की उद्देशिका या प्रस्तावना
भारतीय संविधान की उद्देशिका से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण परीक्षा उपयोगी बिंदु
केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य 1973 के प्रकरण में उच्चतम न्यायालय ने अपने पूर्व निर्णय को उलटते हुए यह कहा कि
- उद्देशिका संविधान का अभिन्न अंग है
- उद्देशिका में संशोधन मूलभूत ढांचे के अलावा किया जा सकता है
- संविधान के निर्वचन में उद्देश्य का बहुत बड़ा महत्व है
- उद्देशिका न्याय योग्य नहीं है अर्थात इसके आधार पर कोई निर्णय नहीं दिया जा सकता
- न्यायमूर्ति हिदायतुल्लाह ने गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य के प्रकरण में उद्देशिका को संविधान के मूल आत्मा कहा है
- संविधान का मूल स्रोत भारत की जनता है वही समस्त शक्तियों का केंद्र बिंदु है
- 42 में संविधान संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा उद्देशिका में शामिल किए गए शब्दों समाजवादी पंथनिरपेक्ष और अखंडता को इस आधार पर न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है कि वह उद्देशिका में निहित किसी आधारभूत ढांचे को नष्ट करता है
- भारत की संविधान की उद्देशिका में अब तक कितनी बार संशोधन किया गया है- सिर्फ एक बार 1976 में 42 में संविधान संशोधन के द्वारा
- भारतीय संविधान की प्रस्तावना में वर्णित उद्देश्यों एवं आदर्शों की व्याख्या संविधान के मूल अधिकारों नीति निर्देशक सिद्धांतों एवं मूल कर्तव्यों के अध्यायों में की गई है
भारतीय संविधान के उद्देशिका से संबंधित समीक्षा अधिकारी के लिए प्रश्न उत्तर
प्रश्न- संविधान की प्रस्तावना अपने नागरिकों को कौन-कौन सा न्याय सुनिश्चित करती है
सामाजिक आर्थिक एवं राज नैतिक
प्रश्न- प्रस्तावना नागरिकों को कौन-कौन सी स्वतंत्रता सुनिश्चित करती है
विचार अभिव्यक्ति विश्वास धर्म एवं उपासना की
प्रश्न राज्य के नीति निर्देशक तत्व किस संविधान से लिए गए
भारतीय संविधान के नीति निर्देशक तत्व आयरलैंड के संविधान से लिए गए हैं
संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से क्या-क्या लिए गए हैं
- मूल अधिकार
- भारतीय संविधान के प्रस्तावना विचार
- राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया
- स्वतंत्र न्यायपालिका
- ज्यूडिशल रिव्यू या न्यायिक पुनरावलोकन का सिद्धांत
- उपराष्ट्रपति का पद
- वित्तीय आपात
- संविधान संशोधन में राज्य विधायिकाओं द्वारा अनुमोदन का प्रावधान
प्रश्न -ऑस्ट्रेलिया के संविधान से क्या-क्या लिया गया है
- प्रस्तावना की भाषा
- समवर्ती सूची
- केंद्र राज्य संबंध
- शक्तियों का विभाजन
प्रश्न कनाडा के संविधान से क्या-क्या लिया गया है
संसदीय शासन प्रणाली
राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति के विचारण अर्थ विधायकसुरक्षित रखना
भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है भारत के मूल संविधान में कुल 395 अनुच्छेद 8 अनुसूचियां तथा 22 भाग थे भारत का संविधान एक लिखित संविधान है जिसमें प्रभु का संपन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य की संकल्पना है संसदीय शासन प्रणाली की व्यवस्था है
उत्तर प्रदेश पीसीएस परीक्षा तथा सहायक समीक्षा अधिकारी परीक्षा में भारतीय संविधान के प्रस्तावना से कई सारे प्रश्न कई बार पूछे गए हैं तो हम अभ्यर्थियों को सलाह देते हैं कि इन प्रश्नों को ठीक से पढ़ने और बार-बार रिवाइज कर ले ताकि परीक्षा में इस बार आप गलती ना करें|
Pingback: महत्त्वपूर्ण पुरस्कार - प्रतियोगी परिक्षाओ के लिए सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी :
Pingback: भारत के प्रमुख दर्रे - ट्रिक्स की मदद से याद रखें