भारत का पश्चिमी घाट -सह्याद्रि श्रेणी

प्रतियोगी परीक्षाओं ARO/RO, PCS, IAS, SSC तथा Sub Inspector Exam में भारत के भूगोल से भारत के पश्चिमी घाट से संबंधित कई सारे प्रश्न पूछे जाते हैं| भारत का पश्चिमी घाट पर्यटन, बायोडायवर्सिटी तथा भारतीय मानसून के लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है| यह गुजरात और महाराष्ट्र की सीमा से प्रारंभ होती है और महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, तमिलनाडु तथा केरल से होते हुए कन्याकुमारी में समाप्‍त हो जाती है। भारत के पश्चिमी तट पर स्थित पर्वत श्रृंखला को पश्चिमी घाट या सह्याद्रि श्रेणी कहते हैं। भारत के पश्चिमी घाट के प्रश्न एवं उत्तर इस पोस्ट में हम कवर करेंगे

  • भारत का पश्चिमी घाट में पश्चिम की ओर बहने वाली नदियाँ जो पश्चिमी घाट से निकलती हैं और पश्चिम की ओर बहती हैं वे नदिया हैं, पेरियार, भरतप्पुझा, नेत्रावती, शरवती, मंडोवी इत्यादि।
  • कम दूरी की यात्रा और तेज़ ढाल के कारण पश्चिमी घाट से पश्चिम की ओर बहने वाली नदियों का बहाव बहुत ही तीव्र होता हैं और यह डेल्टा की बजाए गार्ज का निर्माण करते हैं ।
  • नदियों का तीव्र बहाव पश्चिमी घाटों को जलविद्युत उत्पादन की दृष्टि से अधिक उपयोगी बनाता है।
  • पूर्व की ओर बहने वाली नदियाँ जो पश्चिमी घाट से निकलती हैं और पूर्व की ओर बहती हैं, उनमें तीन प्रमुख नदियाँ शामिल हैं। गोदावरी(दक्षिण भारत की गंगा), कृष्णा एवं कावेरी और कई छोटी/सहायक नदियाँ जैसे तुंगा, भद्रा, भीमा, मालाप्रभा, घटप्रभा, हेमवती, काबिनी।
  • ये पश्चिम की ओर बहने वाली नदियों की तुलना में धीमी गति से बहती हैं और अंततः कावेरी व कृष्णा जैसी बड़ी नदियों में मिल जाती हैं।
  • प्रसिद्ध हिल स्टेशन: यह रेंज महाराष्ट्र से लेकर केरल तक कई मनोरम स्थलों के लिए प्रसिद्ध है उदाहरण के लिए माथेरान, लोनावाला-खंडाला, महाबलेश्वर, पंचगनी, अंबोली घाट, कुद्रेमुख और कोडागु जैसे कई हिल स्टेशनों का गढ़ है।

दक्‍कनी पठार के पश्चिमी किनारे के साथ-साथ यह पर्वतीय शृंखला उत्‍तर से दक्षिण की तरफ 1600 किलोमीटर लम्‍बी है।

पश्चिमी घाट के दर्रे

भारत का पश्चिमी घाट का संस्कृत नाम सह्याद्रि पर्वत है। यह पर्वतश्रेणी महाराष्ट्र में कुंदाइबारी दर्रे से आरंभ होकर, तट के समांतर, सागरतट से ३० किमी से लेकर १०० किमी के अंतर से लगभग ४,००० फुट तक ऊँची दक्षिण की ओर जाती है। यह श्रेणी कोंकण के निम्न प्रदेश एवं लगभग २,००० फुट ऊँचे दकन के पठार को एक दूसरे से विभक्त करती है। इसपर कई इतिहासप्रसिद्ध किले बने हैं। कुंदाईबारी दर्रा भरुच तथा दकन पठार के बीच व्यापार का मुख्य मार्ग है।

इसमें थाल घाट, भोर घाट, पाल घाट तीन प्रसिद्ध दर्रे हैं।

थाल घाट- से होकर बंबई-आगरा-मार्ग जाता है। महाराष्ट्र तथा गोवा को उत्तर भारत से जुड़ने के लिए इसी दर्रे का इस्तेमाल किया जाता है

कलसूबाई चोटी सबसे ऊँची (५,४२७ फुट) चोटी है।

भोर घाट- भोर घाट से बंबई-पूना मार्ग गुजरता है।

इन दर्रो के अलावा जरसोपा, कोल्लुर, होसंगादी, आगुंबी, बूँध, मंजराबाद एवं विसाली आदि दर्रे हैं। अंत में दक्षिण में जाकर यह श्रेणी पूर्वी घाट से नीलगिरि के पठार के रूप में मिल जाती है। नीलगिरी पर्वत एक गांठ की तरह है जहां पर पूर्वी श्रेणी तथा पश्चिमी घाट की श्रेणी आकर के मिलते हैं इसी पठार पर पहाड़ी सैरगाह ओत्तकमंदु स्थित है, जो सागरतल से ७,००० फुट की ऊँचाई पर बसा है।

पालघाट – नीलगिरि पठार के दक्षिण में प्रसिद्ध दर्रा पालघाट है। यह दर्रा २५ किमी चौड़ा तथा सगरतल से १,००० फुट ऊँचा है। केरल-मद्रास का संबंध इसी दर्रे से है। इस दर्रे के दक्षिण में यह श्रेणी पुन: ऊँची हाकर अन्नाईमलाई पहाड़ी के रूप में चलती है। पाल घाट के दक्षिण में श्रेणी की पूर्वी पश्चिमी दोनों ढालें खड़ी हैं। पश्चिमी घाट में सुंदर सुंदर दृश्य देखने को मिलती हैं। जंगलों में शिकार भी खेला जाता है। प्राचीन समय से यातायात की बाधा के कारण इस श्रेणी के पूर्व एवं पश्चिम के भागों के लोगों की बोली, रहन सहन आदि में बड़ा अंतर है। यहाँ कई जंगली जातियाँ भी रहती हैं।

भारत का पश्चिमी घाट bio-diversity के लिए भी बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है

विश्‍व में bio-diversity जैविकीय विवधता के लिए भारत का पश्चिमी घाट बहुत महत्‍वपूर्ण है और इस दृष्टि से विश्‍व में इसका 8वां स्थान है। वर्ष 2012 में यूनेस्को ने पश्चिमी घाट क्षेत्र के 39 स्‍थानों को विश्व धरोहर स्‍थल घोषित किया है।” पश्चिमी घाट के बायोडायवर्सिटी से संबंधित कई प्रश्न सरकारी नौकरी की परीक्षाओं में पूछे जाते हैं|

UPPSC RO/ARO 2023 , तथा पीसीएस 2024 के सामान्य अध्ययन पेपर के भारतीय भूगोल के खंड में पश्चिमी घाट से 1-2 प्रश्न हमेशा पूछे जाएंगे|

पश्चिमी घाट के पूर्वी छोर पर बारिश कम देखी जाती है जैसे के उदाहरण के तौर पर पुणे में बारिश कम होती है वहीं पश्चिमी घाट के पश्चिमी छोर पर बारिश की मात्रा काफी ज्यादा होती है उदाहरण के तौर पर महाराष्ट्र के बलेश्वर तथा लोनावाला में बारिश बहुत ज्यादा होती है|

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top