दोस्तों प्रतियोगी परीक्षाओं में धन विधेयक से जुड़े कई प्रश्न पूछे जाते हैं| आज की इस पोस्ट मैं हम यह जानेंगे कि धन विधेयक क्या होता है और धन विधेयक और वित्त विधेयक में क्या अंतर होता है| भारतीय संविधान में धन विधेयक का बहुत बड़ा महत्व होता है और परीक्षाओं में इससे जुड़े कई बार कई प्रश्न पूछे गए हैं| तो चलिए दोस्तों इस पोस्ट के माध्यम से जानते हैं कि मनी बिल क्या होता है| उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में भारतीय संविधान के अंतर्गत मनी बिल दिया धन विधेयक से संबंधित कई बार प्रश्न पूछे गए
धन विधेयक क्या है
संविधान के अनुच्छेद 110 में धन विधेयक की परिभाषा दी गई है। इस अनुच्छेद के अनुसार कोई विधेयक धन विधेयक तब समझा जाएगा, जब उसमें कुछ विशेष विषयों से संबंधित प्रावधान हों। ये विषय हैं- कर लगाना, कर कम करना या बढ़ाना, उसे नियमित करना या उसमें परिवर्तन करना, भारत सरकार की ओर से ऋण लेना, नियमित करना या किसी आर्थिक भार में कोई परिवर्तन करना, भारत की संचित निधि या आकस्मिक निधि में कुछ धन डालना हो या निकालना, भारत की संचित निधि में से किसी व्यय के संबंध में धन दिया जाना हो, भारत की जमा-पूंजी में से किसी भी खर्च के दिए जाने की घोषणा करना या ऐसे व्यय को बढ़ाना हो, भारत की संचित निधि तथा सार्वजनिक लेखों में धन जमा करने या लेखों की जांच-पड़ताल करनी हो। जबकि वित्त विधेयक ऐसे विधेयक को कहते हैं, जो आय या व्यय से संबंधित हैं।
- अनुच्छेद 110 के अंतर्गत धन विधेयक की परिभाषा दी गई है |इसके तहत कोई विधेयक धन विधेयक तक समझा जाएगा यदि उसमें केवल निम्नलिखित सभी के लिए विषयों से संबंधित प्रावधान है
- कर लगाना, कम करना या बढ़ाना, उसको नियमित करना इसमें उसमें कोई परिवर्तन करना हो |
- भारत सरकार की ओर से ऋण लेना, नियमित करना या किसी अधिभार में कोई परिवर्तन करना हो |
- भारत की संचित निधि या आकस्मिकता निधि में कुछ धन डालना हो या निकालना हो |
- भारत की संचित निधि में से किसी व्यय संबंध में धन दिया जाना हो |
- भारत की जमा पूंजी में से किसी भी व्यक्ति किए जाने की घोषणा करना या ऐसे व्यय को बढ़ाना हो |
- भारत की संचित निधि तथा सार्वजनिक लेखों में धन जमा करने या लेखों की जांच पड़ताल करनी हो तथा उपरोक्त (1) से (6) में उल्लेखित विषयों में से संबंधित विषय |
- धन की आय तथा व्यय के प्रति अन्य किसी प्रकार का मामला हो
धन विधेयक पारित करने की प्रक्रिया: धन विधेयक कैसे पारित किया जाता है
- संविधान में (अनुच्छेद-110) संसद द्वारा धन विधेयक को पारित करने के संबंध में एक विशेष प्रक्रिया निहित है तथा उसे पारित करने के लिये अनुच्छेद 109 के अंतर्गत विशेष प्रक्रिया का प्रावधान किया गया है।
- लोकसभा में पारित होने के उपरांत उसे राज्यसभा के विचार हेतुभेजा जाता है। राज्यसभा को 14 दिनों के अंदर उसे स्वीकृति देनी होती है अन्यथा इसे राज्यसभा द्वारा पारित माना जाता है।लोकसभा के लिये यह आवश्यक नहीं कि वह राज्यसभा की सिफारिशों को माने। यदि लोकसभा किसी प्रकार की सिफारिश को मान लेती है तो फिर इस विधेयक को सदनों द्वारा संयुक्त रूप से पारित माना जाता है। यदि लोकसभा कोई सिफारिश नहीं मानती है तो इसे मूल रूप से दोनों सदनों द्वारा पारित माना जाता है।
धन विधेयक के संबंध में राज्यसभा के पास शक्तियाँ:
- धन विधेयक के संबंध में राज्यसभा की शक्तियाँ सीमित हैं।
- राज्यसभा के पास इसके संबंध में प्रतिबंधित शक्तियाँ हैं।
- यह धन विधेयक को अस्वीकृत या संशोधित नहीं कर सकती है।
- राज्यसभा केवल सिफारिश कर सकती है।
धन विधेयक के संबंध में राष्ट्रपति की भूमिका:
- इसे केवल राष्ट्रपति की सिफारिश के बाद ही प्रस्तुत किया जा सकता है।
- दोनों सदनों द्वारा पारित होने क बाद धन विधेयक को राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है तो या तो वह इस पर अपनी सहमति देता है या फिर इसे रोक कर रख सकता है।
- राष्ट्रपति इसे किसी भी दशा में सदन को पुनः विचार के लिये नहीं भेज सकता।
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धन विधेयक से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न
-> धन विधेयक की परिभाषा किस अनुच्छेद में दी गई है
अनुच्छेद 110
उल्टा सिस्टम थोड़ा सा हो जाता है
अनुच्छेद 109
-> धन विधेयक सबसे पहले कहां पारित होता है
लोकसभा में
-> किसी भी धन विधेयक को राज्यसभा कितने दिनों तक अपने पास विचार हेतु रख सकती है
अधिकतम 14 दिन
दोस्तों यह ही धन विधेयक से जुड़ी हुई रोचक जानकारियां जो आपको पीसीएस समीक्षा अधिकारी सहायक समीक्षा अधिकारी टीजीटी पीजीटी व सहायक अध्यापक परीक्षाओं के लिए बहुत उपयोगी है| अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई हो तो कृपया इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर करें और लाइक कर दे